हर रिश्ते की एक उम्र होती है।

Suyash Upadhyay
2 min readJun 27, 2023

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हर रिश्ते की एक उम्र होती है।

हर रिश्ते जीवन भर के नहीं होते, कुछ रिश्तों की एक उम्र होती है। हम चाहते हैं की हम कुछ रिश्तों को, हाथ में, हमेशा के लिए पकड़ के रखे पर वो रेत की तरह हर पल हमारे हाथ से छूट रहे होते हैं, और हमको पता भी नहीं होता की हम उनको खोते जा रहे हैं। काश हम जानते हों की कौन सी मुलाकात आखरी मुलाकात है, कौन सा वो पल आखरी पल है, ताकि हम जी भर के उनको देख तो लें, ताकि हम जी भर के वो पल ज़ी तो लें।

उनको यह बता तो पाए की उनका रेत की तरह फिसलना, और एक समय के बाद मेरे हाथ में, उनके हाथ के न होने से, मेरे हाथ का खाली हो जाना क्या होता है।

कुछ रिश्ते जिंदगी को झकझोर देते हैं, यह समझ में आना बंद हो जाता है कि, उनका जीवन में आना बेहतर था, या जीवन से जाना। वो कुछ पल का हसना अच्छा था, या बाद में कुछ पल का रोना। वो यादें खूबसूरत थी, या फिर उनके जाने के बाद आने वाले डरावाने सपने। वो वादा सच्चा था, या फिर वो धोका।

सच्चाई है किस में ? गलती है किसकी ? गुस्सा निकले किस पे ? यह सारे जवाब मिलेंगे कहाँ ?

हम अक्सर जब लोग हमारे पास होते हैं, तो उनसे, उनके होने कि अहमियत पूँछते है।हम जोड़ते हैं की उनके होने से क्या हो रहा है। जब वो पास होते हैं, तो उनके होने से हमारे जीवन में जो होना है, उसका महत्व नहीं समझ पाते। लेकिन यह याद रखना बहुत ज़रूरी है कि जिसपे हम अपना गुस्सा निकाल रहे हैं, उनका होना कितना जरूरी है। वो ना हो तो शायद हमारा गुस्सा, हमारा क्रोध, हमारी नाक़ामयाबी को बाटने वाला कोई ना हो। तब अहमियत समझ आती है, एक रिश्ते के होने की। और जब तक यह समझ आती है तब तक तो रेत नीचे गिर गयी। अब उसे समेटा नहीं जा सकता।

क्या भूल के आगे बढ़ जाना सही है ?

मुझे ऐसा लगता है, भूल जाना सही नहीं है, भूल जाना उस खूबसूरत समय का अपमान है, उस रिश्ते की बेइज़त्ती है, जिसपे कभी हमें एतबार था। याद रखना सही है, उस रिश्ते की खूबसूरती को, उस जज्बात को, और उन गलतियों को भी जिससे उसे जाना पड़ा। इंसान की खूबसूरती भूल जाने में नहीं है, इंसान की खूबसूरती तो हर वो पल याद रखने में है, जिसमें वो हँसा था, वो पल याद रखने से जिंदगी में रिश्तों की ज़रूरत याद रहती है। वो पल दुबारा जीने के लिए हम दूसरे को हँसाने की कोशिश में लगे रहते हैं, जो जिंदगी का नया मकसद बनती हैं।

तो भूलना और भूल जाने को, भूल ही जाना बेहतर है। मैं तो याद रखने वाला हूँ, हर वो पल, हर वो हसीं, हर वो ख़ासियत, जो मुझे एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेगी।

ज़रा सोचिये, और हमको भी सोचने में मदद करिये।

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Suyash Upadhyay

Computer Programmer I Amateur Content Writer | Book Reader